नज़र हट गयी
ज़माने गुज़र गए
हवा का रुख़ भी बदल गया
अब तो अपना वोह उम्र भी
किसी और की कहानी लगती है
पर फिर भी
जब कुछ पल
इस ज़िन्दगी से नोच निकालती हूँ
तो मन की आँखों में
तुम्ही को पाती हूँ
अब भी महसूस करती हूँ
तुम्हारी हाथों के स्पर्श को
अपने शरीर के छाप में
तुम्हारी आँखों की उस नज़र को
देख सकती हूँ अपने मन में
तुम्हारी आवाज़ के लय में
मेरे नाम की स्मृति
गुदगुदाता है मेरे अंतसतः को
एक बार
बस एक बार
फिर से याद दिला दो
उस हसीं का कारण
फिर कर दो बेदम
फिर उखाड़ दो मेरी साँसें
फिर समा लो मुझे अपनी आवश्यकता में
मेरी याद ने तुमको ऐसा अपनाया है
की तुम्हारी ही होके रह गयी हूँ
फ़र्क बस इतना है
कि में भूल सकती नहीं
और तुम जानते भी नहीं
ज़माने गुज़र गए
हवा का रुख़ भी बदल गया
अब तो अपना वोह उम्र भी
किसी और की कहानी लगती है
पर फिर भी
जब कुछ पल
इस ज़िन्दगी से नोच निकालती हूँ
तो मन की आँखों में
तुम्ही को पाती हूँ
अब भी महसूस करती हूँ
तुम्हारी हाथों के स्पर्श को
अपने शरीर के छाप में
तुम्हारी आँखों की उस नज़र को
देख सकती हूँ अपने मन में
तुम्हारी आवाज़ के लय में
मेरे नाम की स्मृति
गुदगुदाता है मेरे अंतसतः को
एक बार
बस एक बार
फिर से याद दिला दो
उस हसीं का कारण
फिर कर दो बेदम
फिर उखाड़ दो मेरी साँसें
फिर समा लो मुझे अपनी आवश्यकता में
मेरी याद ने तुमको ऐसा अपनाया है
की तुम्हारी ही होके रह गयी हूँ
फ़र्क बस इतना है
कि में भूल सकती नहीं
और तुम जानते भी नहीं