ज़ाफरान के दाग़
यह बात है कुछ ज़ाफ़रानी सी
दूध में छूटे धूप की निशानी सी
पीले महताब की शैतानी सी
बदहवस में मसले हाथ पर
ज़ाफ़रान की नूरानी सी
यह बात है कुछ ज़ाफ़रानी सी
गीत गाते उन झरनों के उस पानी सी
हवा में लहराते उन पौधों की मनमानी सी
वो घर जो करे यादों की निगरानी सी
यह बात है कुछ ज़ाफ़रानी सी
मन की आँखों में आंकी कहानी सी
बचपन से बिछड़ी जवानी सी
परदेस को गले लगानी सी
यह बात है कुछ ज़ाफ़रानी सी
हर गली हर नुक्कड़ का पता मुँह ज़ुबानी सी
संदूक में रखे लिहाफ में पिरोई
एक एक पल पुरानी सी
बीते दिनों की ओर देखें एक नज़र रूमानी सी
किसे बताऊँ मैं यह बात मेरी कुछ ज़ाफ़रानी सी
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